
खाटूश्यामजी
खाटू श्याम जी मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है। यह मंदिर महाभारत के वीर पात्र बर्बरीक को समर्पित है, जिन्हें भगवान कृष्ण ने कलियुग में “श्याम” नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। राजस्थान और हरियाणा ही नहीं, बल्कि भारत के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहाँ आकर श्याम बाबा के दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ।
इतिहास
खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है । मान्यता है कि बर्बरीक ने कुरुक्षेत्र युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश भेंट कर दिया था। कथा के अनुसार, युद्ध समाप्ति के बाद वही शीश राजस्थान के खाटू गांव में प्रकट हुआ, जहाँ एक गाय प्रतिदिन एक विशेष स्थान पर दूध गिराती थी। स्थानीय निवासियों द्वारा जब जमीन की खुदाई की गई, तो वहाँ से बर्बरीक का शीश प्राप्त हुआ। तत्पश्चात्, एक ब्राह्मण को यह शीश सौंपा गया। बाद में खाटू के तत्कालीन शासक को स्वप्न में मंदिर निर्माण और शीश की स्थापना का आदेश मिला। ऐसा माना जाता है कि मूल मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में राजा रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा करवाया गया था। 1720 में मंदिर का जीर्णोद्धार ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने कराया ।
धार्मिक महत्त्व
खाटू श्याम जी का हिंदू धर्म में अत्यंत उच्च स्थान है । इन्हें “श्याम बाबा”, “हारे का सहारा” और “कलियुग का अवतार” आदि नामों से भी जाना जाता है। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से बाबा का स्मरण करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। राजस्थान के अतिरिक्त हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और देशभर के कई हिस्सों में भी इनके मंदिर और भक्त मंडल हैं। श्याम बाबा के भजन-कीर्तन, संकीर्तन और मेला आयोजन विशेष प्रसिद्ध हैं ।
मेले और उत्सव
खाटू श्याम जी मंदिर में वर्ष भर अनेक पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें सबसे खास फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी (फाल्गुन मेला) है । इस मेले में लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से पैदल यात्रा कर बाबा के दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा जन्माष्टमी, ग्यारस (एकादशी), दीपावली इत्यादि पर्वों के शुभ अवसर पर भी मंदिर भारी भीड़ से गूंज उठता है। श्याम बाबा का जन्मोत्सव देवउठनी एकादशी पर मनाया जाता है, जिसे उनके प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है ।
सूरजगढ़ का श्याम ध्वज
खाटू श्याम मंदिर के शिखर पर प्रतिवर्ष सूरजगढ़ (जिला झुंझुनू) से एक विशेष “निशान” (ध्वज) लाया जाता है, जिसका विशेष महत्व है । यह ध्वज सफेद कपड़े पर नीले घोड़े की आकृति से अलंकृत होता है और सूरजगढ़ के प्राचीन मंदिर में तैयार होता है। फाल्गुन मेले के दौरान बड़ी शोभायात्रा निकालकर निशान मंदिर के शिखर पर चढ़ाया जाता है ।
पहुँच मार्ग
खाटू श्याम जी मंदिर जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है । नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस है, जो खाटू से 17 किलोमीटर दूर स्थित है; यहाँ से बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा आदि स्थानीय परिवहन के साधन आसानी से मिल जाते हैं। सड़क मार्ग से भी खाटू विभिन्न प्रमुख शहरों एवं राज्यों से सीधा जुड़ा हुआ है ।
मंदिर प्रबंध समिति
खाटू श्याम जी मंदिर का संपूर्ण संचालन एवं प्रबंधन ‘श्री श्याम मंदिर कमेटी (रजि.)’ के अधीन है । यह कमेटी मंदिर में होने वाले समस्त धार्मिक, सामाजिक, एवं विकासात्मक कार्यों को संभालती है। समिति के अधिकारी समय-समय पर चुने जाते हैं; वर्तमान अध्यक्ष श्री पृथ्वी सिंह चौहान, मंत्री श्री मानवेन्द्र सिंह चौहान और कोषाध्यक्ष श्री कालू सिंह चौहान हैं ।
अन्य महत्वपूर्ण स्थल
खाटू श्याम जी के आसपास भी कई प्रमुख धार्मिक स्थल हैं— जैसे सालासर बालाजी, जीण माता और रानी सती मंदिर । श्रद्धालु इन स्थानों का भी दर्शन करते हैं।
खाटू श्याम जी मंदिर एकता, आस्था और सेवा का अनूठा संगम है, जिसकी धार्मिक महिमा देशभर के श्रद्धालुओं के जीवन में आस्था एवं विश्वास की नई ऊर्जा भरती है ।