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त्रिकालदर्शी-का-दिव्य-संकल्प
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे श्याम

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे श्याम

यह कहानी प्रिया और प्रेम की है, दो ऐसे युवा दिलों की, जिनकी प्रेम कहानी विश्वास और भगवान के प्रति अटूट भक्ति की पृष्ठभूमि पर आधारित है। प्रिया, एक गरीब परिवार से आई एक सुंदर और सुशील लड़की थी, जो अपनी सादगी और दयालु स्वभाव के लिए जानी जाती थी। प्रेम, एक धनी व्यापारी का बेटा था, जो अपनी उदारता और विनम्रता के लिए प्रसिद्ध था। दोनों का हृदय एक-दूसरे के लिए धड़कता था, लेकिन उनकी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि उनके मिलन के रास्ते में एक बड़ी बाधा थी।

प्रिया और प्रेम पहली बार एक मंदिर में मिले थे, जो गाँव के बाहर एक पहाड़ी पर स्थित था। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित था, जिन्हें स्थानीय लोग श्याम के नाम से जानते थे। प्रिया और प्रेम दोनों ही भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, और वे अक्सर अपनी प्रार्थना करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाते थे।

एक दिन, जब प्रिया मंदिर में अकेली बैठी हुई थी, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। प्रेम ने उसे रोते हुए देखा और उसके पास जाकर उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा। प्रिया ने प्रेम को बताया कि वह एक गरीब परिवार से है और उसकी शादी एक ऐसे व्यक्ति से तय कर दी गई है जो उससे बहुत बड़ा है और जिसके साथ वह खुश नहीं रह सकती है।

प्रेम प्रिया की कहानी सुनकर बहुत दुखी हुआ। वह प्रिया से प्यार करता था और उसे इस दुख से बाहर निकालना चाहता था। उसने प्रिया से कहा कि वह उसके माता-पिता से बात करेगा और उनसे उनकी शादी के लिए कहेगा। प्रिया ने प्रेम को बताया कि यह संभव नहीं है, क्योंकि प्रेम एक धनी परिवार से है और उसके माता-पिता कभी भी एक गरीब लड़की से उसकी शादी के लिए सहमत नहीं होंगे।

प्रेम ने प्रिया से कहा कि उसे भगवान कृष्ण पर विश्वास रखना चाहिए और वे निश्चित रूप से उनकी मदद करेंगे। उसने प्रिया से कहा कि वे दोनों मिलकर भगवान कृष्ण से प्रार्थना करेंगे और उनसे उनकी शादी के लिए आशीर्वाद मांगेंगे।

प्रिया और प्रेम हर दिन मंदिर जाते थे और भगवान कृष्ण से उनकी शादी के लिए प्रार्थना करते थे। वे घंटों तक वहाँ बैठकर भजन गाते थे और कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते थे। धीरे-धीरे, उनका विश्वास और दृढ़ संकल्प मजबूत होता गया, और उन्हें लगने लगा कि भगवान कृष्ण निश्चित रूप से उनकी प्रार्थना सुनेंगे।

समय बीतता गया, और प्रिया और प्रेम की शादी का दिन नजदीक आता गया। प्रिया बहुत डरी हुई थी, लेकिन उसने भगवान कृष्ण पर अपना विश्वास नहीं खोया था। वह जानती थी कि कुछ भी हो, कृष्ण उसके साथ हैं और उसकी रक्षा करेंगे।

विवाह के दिन, जब प्रिया मंडप में बैठी थी, उसका हृदय तेजी से धड़क रहा था। उसे लग रहा था कि उसका जीवन अब हमेशा के लिए बदलने वाला है। तभी, एक चमत्कार हुआ।

अचानक, एक तेज हवा चली, और पूरा मंडप रोशनी से भर गया। लोगों ने अपनी आँखें बंद कर लीं, और जब उन्होंने उन्हें खोला, तो उन्होंने देखा कि कृष्ण स्वयं वहाँ खड़े थे। वे दूल्हे के रूप में सजे हुए थे, और उनके चेहरे पर एक दिव्य मुस्कान थी।

प्रिया की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसकी आँखों से कृतज्ञता के आँसू बहने लगे। वह जानती थी कि यह कृष्ण का ही चमत्कार है, और उन्होंने उसकी प्रार्थना सुन ली है। प्रेम भी कृष्ण को देखकर बहुत खुश हुआ। वह जानता था कि भगवान ने उसकी भक्ति और प्रेम का फल उसे दिया है।

कृष्ण ने प्रिया के पास जाकर उसका हाथ थामा और उसे अपने पास बैठाया। उन्होंने सभी को बताया कि प्रिया और प्रेम हमेशा से एक-दूसरे के लिए बने थे, और वे ही उनके असली पति हैं। उन्होंने प्रिया के परिवार और प्रेम के परिवार को भी समझाया और उन्हें इस विवाह के लिए राजी किया।

सभी गाँव वाले इस चमत्कार को देखकर दंग रह गए। वे समझ गए कि कृष्ण की शक्ति असीम है, और वे अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं। उन्होंने प्रिया और प्रेम की भक्ति और विश्वास की प्रशंसा की, और वे उनकी शादी में शामिल होकर बहुत खुश हुए।

प्रिया और प्रेम का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। दोनों ने आखिरकार एक-दूसरे से विवाह कर लिया था, और उनका जीवन खुशियों से भर गया था। वे जानते थे कि यह सब भगवान कृष्ण की कृपा से ही संभव हुआ है, और वे हमेशा उनके आभारी रहेंगे।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी भगवान पर अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए। परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें हमेशा उन पर भरोसा रखना चाहिए और अपनी भक्ति में लीन रहना चाहिए। वे हमेशा हमारी प्रार्थना सुनते हैं और हमें सही समय पर सही मार्ग दिखाते हैं। हमें बस धैर्य रखना होता है और उन पर पूर्ण विश्वास रखना होता है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि भगवान हमेशा हमारे साथ हैं और वे हमें कभी अकेला नहीं छोड़ते हैं। वे हमेशा हमारी रक्षा करते हैं और हमें हमारी सभी समस्याओं से बचाते हैं। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि सच्चा प्यार वह है जो भगवान में विश्वास पर आधारित होता है, और यह कि भगवान हमेशा उन लोगों को पुरस्कृत करते हैं जो एक-दूसरे से ईमानदारी और भक्ति के साथ प्यार करते हैं।

कहानी का विस्तार

यह कहानी सदियों पहले भारत में एक छोटे से गाँव में शुरू होती है। प्रिया, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, एक गरीब लेकिन धार्मिक परिवार की एक सुंदर और सुशील लड़की थी। उसके पिता एक किसान थे, और उसकी माँ एक गृहिणी थी। प्रिया के माता-पिता भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, और उन्होंने प्रिया को भी कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति के साथ पाला था। प्रिया का दिन मंदिर में शुरू होता था और मंदिर में ही समाप्त होता था। वह हमेशा गाँव के लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी और कभी किसी को दुखी नहीं देख सकती थी।

गाँव के लोग प्रिया को बहुत पसंद करते थे। वे उसकी सुंदरता, उसकी दयालुता और उसकी भक्ति की प्रशंसा करते थे। वे हमेशा कहते थे कि प्रिया एक दिव्य आत्मा है और वह भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय भक्त है।

प्रेम, दूसरी ओर, गाँव के सबसे धनी व्यापारी का बेटा था। उनके पिता, ठाकुर रणजीत सिंह, एक शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति थे, लेकिन वे अपनी उदारता और विनम्रता के लिए भी जाने जाते थे। प्रेम ने अपने पिता से व्यवसाय में सफलता के साथ-साथ लोगों के प्रति दयालु होना भी सीखा था। वह हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए तैयार रहता था, और वह कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं करता था।

प्रेम भी भगवान कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त था, और वह अक्सर अपनी प्रार्थना करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाता था। वह कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति में प्रिया के साथ शामिल होता था, और वे दोनों घंटों तक भजन गाते थे और भगवान के प्रति अपना प्यार व्यक्त करते थे।

प्रिया और प्रेम की मुलाकात एक दिन मंदिर में हुई थी, जब प्रिया हमेशा की तरह भगवान कृष्ण की पूजा कर रही थी। प्रेम ने प्रिया को देखा और उसकी सुंदरता और भक्ति से मंत्रमुग्ध हो गया। उसने प्रिया से बात करने का फैसला किया, और वे जल्द ही दोस्त बन गए।

प्रिया और प्रेम ने पाया कि उनमें बहुत कुछ समान है। वे दोनों भगवान कृष्ण के भक्त थे, वे दोनों दयालु और विनम्र थे, और वे दोनों अपने परिवार और अपने गाँव से प्यार करते थे। वे जल्द ही एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए, लेकिन वे जानते थे कि उनकी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि उनके मिलन के रास्ते में एक बड़ी बाधा है।

प्रिया के माता-पिता उसकी शादी को लेकर चिंतित थे। वे जानते थे कि वे एक गरीब परिवार से हैं और उनके लिए एक अच्छा पति ढूंढना मुश्किल होगा। वे प्रिया के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक जीवन चाहते थे, लेकिन वे यह भी जानते थे कि प्रिया केवल उसी व्यक्ति से शादी करेगी जिससे वह प्यार करती है और जो भगवान कृष्ण का भक्त है।

प्रेम के माता-पिता भी उसकी शादी को लेकर चिंतित थे। वे जानते थे कि प्रेम एक धनी परिवार से है और उसकी शादी एक ऐसी लड़की से होनी चाहिए जो उनकी सामाजिक स्थिति के बराबर हो। वे प्रेम के लिए एक सुंदर और बुद्धिमान पत्नी चाहते थे जो उनके व्यवसाय में उनका समर्थन कर सके। वे यह भी जानते थे कि प्रेम केवल उसी लड़की से शादी करेगा जिससे वह प्यार करता है और जो भगवान कृष्ण का भक्त है।

जब प्रिया और प्रेम ने अपने-अपने माता-पिता को अपनी शादी के बारे में बताया, तो वे बहुत निराश हुए। दोनों परिवारों को लगा कि यह विवाह संभव नहीं है। प्रिया के माता-पिता को लगा कि प्रेम के परिवार वाले कभी भी एक गरीब लड़की को अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे। प्रेम के माता-पिता को लगा कि प्रिया एक धनी परिवार में फिट नहीं होगी और वह उनके बेटे के लिए उपयुक्त पत्नी नहीं होगी।

प्रिया और प्रेम दोनों बहुत दुखी थे। वे एक-दूसरे से प्यार करते थे और वे एक-दूसरे के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। उन्होंने भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने और उनसे उनकी शादी के लिए आशीर्वाद मांगने का फैसला किया।

प्रिया और प्रेम हर दिन मंदिर जाते थे और भगवान कृष्ण से उनकी शादी के लिए प्रार्थना करते थे। वे घंटों तक वहाँ बैठकर भजन गाते थे और कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते थे। उन्होंने मंदिर के पुजारी से भी सलाह ली, जिन्होंने उन्हें धैर्य रखने और भगवान कृष्ण पर अपना विश्वास बनाए रखने के लिए कहा।

पुजारी ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण हमेशा उन लोगों की मदद करते हैं जो उनसे सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं। उन्होंने उन्हें बताया कि उन्हें अपनी भक्ति और विश्वास में दृढ़ रहना चाहिए और वे निश्चित रूप से अपने प्रेम में सफल होंगे।

प्रिया और प्रेम ने पुजारी की बातों पर विश्वास किया और उन्होंने अपनी प्रार्थना जारी रखी। उनका विश्वास और दृढ़ संकल्प हर दिन मजबूत होता गया, और उन्हें लगने लगा कि भगवान कृष्ण निश्चित रूप से उनकी प्रार्थना सुनेंगे।

समय बीतता गया, और प्रिया और प्रेम की शादी का दिन नजदीक आता गया। प्रिया बहुत डरी हुई थी, लेकिन उसने भगवान कृष्ण पर अपना विश्वास नहीं खोया था। वह जानती थी कि कुछ भी हो, कृष्ण उसके साथ हैं और उसकी रक्षा करेंगे। प्रेम भी थोड़ा चिंतित था, लेकिन वह जानता था कि उसकी भक्ति और भगवान कृष्ण में उसका विश्वास व्यर्थ नहीं जाएगा।

विवाह के दिन, जब प्रिया मंडप में बैठी थी, उसका हृदय तेजी से धड़क रहा था। उसे लग रहा था कि उसका जीवन अब हमेशा के लिए बदलने वाला है। तभी, एक चमत्कार हुआ।

अचानक, एक तेज हवा चली, और पूरा मंडप रोशनी से भर गया। लोगों ने अपनी आँखें बंद कर लीं, और जब उन्होंने उन्हें खोला, तो उन्होंने देखा कि कृष्ण स्वयं वहाँ खड़े थे। वे दूल्हे के रूप में सजे हुए थे, और उनके चेहरे पर एक दिव्य मुस्कान थी।

प्रिया की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसकी आँखों से कृतज्ञता के आँसू बहने लगे। वह जानती थी कि यह कृष्ण का ही चमत्कार है, और उन्होंने उसकी प्रार्थना सुन ली है। प्रेम भी कृष्ण को देखकर बहुत खुश हुआ। वह जानता था कि भगवान ने उसकी भक्ति और प्रेम का फल उसे दिया है।

कृष्ण ने प्रिया के पास जाकर उसका हाथ थामा और उसे अपने पास बैठाया। उन्होंने सभी को बताया कि प्रिया और प्रेम हमेशा से एक-दूसरे के लिए बने थे, और वे ही उनके असली पति हैं। उन्होंने प्रिया के परिवार और प्रेम के परिवार को भी समझाया और उन्हें इस विवाह के लिए राजी किया।

दोनों परिवार कृष्ण को अपनी आँखों के सामने देखकर बहुत हैरान और अभिभूत थे। वे समझ गए कि भगवान की शक्ति असीम है और वे अपने भक्तों के प्रेम और भक्ति के आगे झुक जाते हैं। उन्होंने प्रिया और प्रेम को आशीर्वाद दिया और उनसे उनकी गलती के लिए क्षमा मांगी।

सभी गाँव वाले इस चमत्कार को देखकर दंग रह गए। वे समझ गए कि कृष्ण की शक्ति असीम है, और वे अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं। उन्होंने प्रिया और प्रेम की भक्ति और विश्वास की प्रशंसा की, और वे उनकी शादी में शामिल होकर बहुत खुश हुए।

प्रिया और प्रेम का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। दोनों ने आखिरकार एक-दूसरे से विवाह कर लिया था, और उनका जीवन खुशियों से भर गया था। वे जानते थे कि यह सब भगवान कृष्ण की कृपा से ही संभव हुआ है, और वे हमेशा उनके आभारी रहेंगे। उन्होंने भगवान कृष्ण से वादा किया कि वे हमेशा उनके प्रति वफादार रहेंगे और वे हमेशा उनके नाम का प्रचार करेंगे।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी भगवान पर अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए। परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें हमेशा उन पर भरोसा रखना चाहिए और अपनी भक्ति में लीन रहना चाहिए। वे हमेशा हमारी प्रार्थना सुनते हैं और हमें सही समय पर सही मार्ग दिखाते हैं। हमें बस धैर्य रखना होता है और उन पर पूर्ण विश्वास रखना होता है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि भगवान हमेशा हमारे साथ हैं और वे हमें कभी अकेला नहीं छोड़ते हैं। वे हमेशा हमारी रक्षा करते हैं और हमें हमारी सभी समस्याओं से बचाते हैं। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि सच्चा प्यार वह है जो भगवान में विश्वास पर आधारित होता है, और यह कि भगवान हमेशा उन लोगों को पुरस्कृत करते हैं जो एक-दूसरे से ईमानदारी और भक्ति के साथ प्यार करते हैं। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि भगवान की भक्ति और प्रेम में बहुत शक्ति होती है और यह किसी भी बाधा को दूर कर सकती है।

 

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©️ श्याम मित्र द्वारा श्री श्याम के चरणों में समर्पित ©️