
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा
भाग 1: अनजानी राहें
सुरभि, एक शांत और संवेदनशील युवती थी, जो राजस्थान के कोटा शहर की एक संकरी गली में बने अपने छोटे से घर में अपनी दुनिया में ही खोई रहती थी। किताबों से उसकी गहरी दोस्ती थी और कल्पना की उड़ान उसकी सबसे प्रिय साथी। बाहरी दुनिया की चकाचौंध से दूर, वह अक्सर अपनी बालकनी में बैठी, तारों भरे आसमान को निहारती और अनजाने सपनों की बुनती रहती थी।
उसकी जिंदगी एक शांत नदी की तरह बह रही थी, जिसमें कभी-कभार ही कोई छोटी लहर उठती थी। परिवार की जिम्मेदारियां और सामाजिक बंधनों ने उसे एक दायरे में बांध रखा था। वह हमेशा से ही थोड़ी दब्बू और संकोची स्वभाव की थी, इसलिए अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करना उसके लिए आसान नहीं था।
एक दिन, पड़ोस के मंदिर में एक भजन संध्या का आयोजन किया गया। सुरभि की माँ उसे आग्रह करके साथ ले गईं। सुरभि का मन तो नहीं था, पर माँ की बात टालना उसके लिए मुश्किल था। मंदिर में भक्तों की भीड़ थी और वातावरण भक्तिमय संगीत से गुंजायमान था। सुरभि एक कोने में चुपचाप बैठी भजन सुन रही थी।
तभी उसकी नजर एक युवक पर पड़ी। वह युवक मंच पर बैठकर बड़े ही भावपूर्ण तरीके से गा रहा था। उसकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी, जो सीधे सुरभि के दिल को छू गई। उस युवक का नाम राघव था और वह एक स्थानीय संगीत शिक्षक था। उसके चेहरे पर एक तेज था और उसकी आँखों में एक गहरी शांति झलक रही थी।
सुरभि ने पहले कभी किसी को इस तरह महसूस नहीं किया था। राघव के भजन समाप्त होने के बाद भी उसकी आवाज सुरभि के कानों में गूंजती रही। उस रात, सुरभि ने पहली बार अपनी बालकनी में बैठकर सिर्फ तारों को ही नहीं, बल्कि राघव के चेहरे को भी याद किया।
अगले कुछ दिनों तक सुरभि का मन अशांत रहा। वह बार-बार उस भजन संध्या और राघव के चेहरे के बारे में सोचती रही। यह एक नई भावना थी, जिसे वह पहचान नहीं पा रही थी। यह डर भी था कि कहीं यह सब गलत न हो, और एक अनजान आकर्षण भी था जो उसे राघव की ओर खींच रहा था।
एक शाम, जब सुरभि मंदिर के पास से गुजर रही थी, तो उसने राघव को कुछ बच्चों को संगीत सिखाते हुए देखा। उसकी मधुर आवाज सुनकर सुरभि अनायास ही रुक गई। राघव ने उसे देख लिया और मुस्कुराकर उसका अभिवादन किया। सुरभि का चेहरा शर्म से लाल हो गया, लेकिन उसने हिम्मत करके राघव को नमस्कार किया।
उस दिन उनकी पहली औपचारिक बातचीत हुई। राघव ने सुरभि से उसके बारे में पूछा और सुरभि ने भी संक्षेप में अपने बारे में बताया। उस छोटी सी मुलाकात ने सुरभि के मन में एक नई उम्मीद जगा दी। उसे लगने लगा कि शायद यह सिर्फ एकतरफा आकर्षण नहीं है।
धीरे-धीरे उनकी मुलाकातें बढ़ने लगीं। कभी मंदिर में, कभी रास्ते में, कभी किसी छोटे-मोटे कार्यक्रम में। दोनों एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनते, अपनी पसंद-नापसंद साझा करते और धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आते गए। सुरभि को राघव की सादगी, उसकी कला के प्रति समर्पण और उसका शांत स्वभाव बहुत पसंद आया। वहीं, राघव को सुरभि की संवेदनशीलता, उसकी गहरी सोच और उसकी मासूमियत ने आकर्षित किया।
सुरभि, जो हमेशा दुनिया से डरती थी और अपनी भावनाओं को छुपाकर रखती थी, अब राघव के साथ खुलकर बात करने लगी थी। उसे ऐसा महसूस होता था जैसे राघव ही वह व्यक्ति है जो उसे सच में समझ सकता है। यह एक नई आजादी का अनुभव था, जिसने उसके भीतर दबी हुई भावनाओं को पंख दे दिए थे।
एक चांदनी रात में, जब वे दोनों कोटा के किशोर सागर तालाब के किनारे बैठे थे, राघव ने सुरभि का हाथ अपने हाथों में लिया और अपनी भावनाओं का इजहार किया। सुरभि के लिए यह एक सपने के सच होने जैसा था। उसकी आँखों में खुशी के आंसू थे और उसने धीरे से राघव के प्यार को स्वीकार किया।
उस पल, सुरभि ने अपने मन में एक दृढ़ निश्चय किया: “लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा देखा जाएगा। तुम्हे अपने बना बैठे, जो होगा देखा जाएगा।” उसने दुनिया की परवाह किए बिना, अपने दिल की आवाज सुनने का फैसला कर लिया था।
भाग 2: पर्दे के पीछे की दुनिया
सुरभि और राघव का प्यार धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा। वे एक-दूसरे के साथ हर पल बिताना चाहते थे। उनकी मुलाकातें चोरी-छिपे होती थीं, क्योंकि सुरभि जानती थी कि उनके रिश्ते को उनके परिवार और समाज से आसानी से स्वीकार नहीं किया जाएगा। राघव एक साधारण पृष्ठभूमि से था और सुरभि एक प्रतिष्ठित परिवार से। जाति और सामाजिक स्तर का अंतर उनके बीच एक बड़ी बाधा बन सकता था।
सुरभि के मन में कभी-कभी डर के बादल मंडराते थे। उसे ख्याल आता था कि दुनिया उनके रिश्ते को बदनाम कर देगी, उनके बारे में बुरी बातें कहेगी। लेकिन जब वह राघव की आँखों में देखती, तो उसे एक अटूट विश्वास महसूस होता था। राघव हमेशा उसे हिम्मत देता और कहता कि उनके प्यार की शक्ति हर मुश्किल को पार कर जाएगी।
“कभी यह ख्याल था दुनिया, हमें बदनाम कर देगी, शर्म अब बेच खा बैठे, जो होगा देखा जाएगा। लगन तुमसे लगा बैठें, जो होगा देखा जाएगा, तुम्हे अपने बना बैठे, जो होगा देखा जाएगा।” सुरभि ने अपने डर को त्याग दिया था और अपने प्यार पर भरोसा करना सीख लिया था।
उन्होंने अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने का फैसला किया। राघव ने सुरभि के परिवार से मिलकर अपने प्यार का इजहार करने की बात कही। सुरभि थोड़ी डरी हुई थी, लेकिन उसने राघव का साथ देने का वादा किया।
एक सुबह, राघव सुरभि के घर गया। सुरभि के माता-पिता राघव को देखकर हैरान रह गए। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सुरभि किसी ऐसे लड़के को पसंद करेगी जो उनके सामाजिक स्तर का नहीं है। सुरभि ने हिम्मत करके अपने माता-पिता को राघव के बारे में बताया और उनसे उनके रिश्ते को स्वीकार करने का अनुरोध किया।
सुरभि के पिता, जो एक रूढ़िवादी विचारों वाले व्यक्ति थे, इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने राघव को अपमानित किया और उसे तुरंत घर से चले जाने को कहा। सुरभि की माँ भी समाज के डर से चुपचाप खड़ी रहीं।
सुरभि टूट गई। उसे उम्मीद थी कि उसके माता-पिता उसकी खुशी को समझेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राघव ने सुरभि को ढांढस बंधाया और कहा कि उन्हें हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने फैसला किया कि वे अपने प्यार के लिए लड़ेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए।
भाग 3: पर्दे का उठना
राघव और सुरभि ने फैसला किया कि वे अपने रिश्ते को दुनिया से छुपाएंगे नहीं। उन्होंने धीरे-धीरे अपने दोस्तों और शुभचिंतकों को अपने प्यार के बारे में बताना शुरू किया। कुछ लोगों ने उनका समर्थन किया, जबकि कुछ ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि उनका यह कदम गलत है।
सुरभि और राघव ने एक साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना करने का फैसला किया। उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामा और आगे बढ़ने का निश्चय किया। सुरभि ने अपने माता-पिता को समझाने की कोशिश जारी रखी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
एक दिन, राघव को कोटा के एक बड़े संगीत समारोह में गाने का अवसर मिला। यह उसके करियर का एक महत्वपूर्ण मौका था। सुरभि ने उसे प्रोत्साहित किया और कहा कि वह अपनी कला से दुनिया को जीत लेगा।
समारोह के दिन, सुरभि भी राघव के साथ गई। जब राघव मंच पर चढ़ा और उसने अपनी मधुर आवाज में गाना शुरू किया, तो पूरा माहौल मंत्रमुग्ध हो गया। उसकी आवाज में प्यार, दर्द और उम्मीद का एक अद्भुत मिश्रण था। सुरभि गर्व से उसे देख रही थी।
गाने के बीच में, राघव ने सुरभि की ओर देखा और एक ऐसा गीत गाया जो उनके प्यार की कहानी बयां कर रहा था। उसकी आँखों में सुरभि के लिए गहरा प्यार झलक रहा था। सुरभि की आँखों में आंसू आ गए।
जब राघव का प्रदर्शन समाप्त हुआ, तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। लोग उसकी प्रतिभा के कायल हो गए थे। उस पल, सुरभि ने फैसला किया कि अब छुपने का कोई मतलब नहीं है। वह मंच पर चढ़ गई और राघव का हाथ पकड़कर दुनिया के सामने खड़ी हो गई।
सुरभि के इस कदम से सभी हैरान रह गए। उसके माता-पिता भी दर्शकदीर्घा में बैठे थे और अपनी बेटी को इस तरह देखकर स्तब्ध थे।
सुरभि ने माइक संभाला और अपनी आवाज में कहा, “यह वह व्यक्ति है जिसे मैं प्यार करती हूँ। हमने एक-दूसरे को अपना बना लिया है और अब दुनिया की परवाह नहीं है कि क्या होगा।”
उसकी इस घोषणा से पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। फिर धीरे-धीरे लोगों ने तालियां बजाना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने सुरभि और राघव के प्यार की हिम्मत की सराहना की।
सुरभि के माता-पिता अपनी बेटी के दृढ़ निश्चय को देखकर अंदर से हिल गए। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी शांत और दब्बू बेटी इतना बड़ा कदम उठा सकती है।
समारोह के बाद, सुरभि के माता-पिता उससे मिले। उनकी आँखों में गुस्सा नहीं, बल्कि चिंता और थोड़ा सा आश्चर्य था। सुरभि ने उनसे अपने प्यार की गहराई और राघव की अच्छाई के बारे में बताया। उसने कहा कि वह राघव के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकती।
धीरे-धीरे, सुरभि के माता-पिता का दिल पिघलने लगा। उन्होंने देखा कि सुरभि कितनी खुश है और राघव कितना सच्चा और समर्पित है। समाज के डर और अपनी प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना, उन्होंने सुरभि और राघव के रिश्ते को स्वीकार करने का फैसला किया।
वह दिन सुरभि और राघव के जीवन का सबसे खुशी का दिन था। उन्होंने अपने प्यार के लिए दुनिया से लड़ने का फैसला किया था और अंत में उन्हें जीत मिली थी।
“कभी दुनिया से डरते थे, छुप छुप याद करते थे, लो अब परदा उठा बैठे, जो होगा देखा जाएगा। लगन तुमसे लगा बैठें, जो होगा देखा जाएगा, तुम्हे अपने बना बैठे, जो होगा देखा जाएगा।”
उनकी प्रेम कहानी कोटा की गलियों से निकलकर शहर भर में फैल गई। यह एक ऐसी कहानी थी जिसने लोगों को सिखाया कि सच्चा प्यार सभी बंधनों और डर से ऊपर होता है। सुरभि और राघव ने साबित कर दिया कि जब दो दिल सच्चे हों, तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें अलग नहीं कर सकती। उन्होंने अपनी लगन से अपनी मंजिल पा ली थी और उनका प्यार हमेशा अमर रहेगा।