
गजब मेरे खाटू वाले
राजस्थान की पवित्र भूमि में, जहाँ भक्ति और आस्था की धारा बहती है, एक छोटा सा गाँव था – श्यामपुर। श्यामपुर के लोग अपनी सादगी, ईमानदारी और श्याम बाबा के प्रति अटूट श्रद्धा के लिए जाने जाते थे। गाँव के हर घर में सुबह-शाम श्याम बाबा के भजन और आरती की मधुर ध्वनि गूंजती थी।
गाँव में एक गरीब परिवार रहता था – रामलाल, उसकी पत्नी सीता और उनका बेटा मोहन। रामलाल एक किसान था, जो अपनी छोटी सी जमीन पर खेती करके परिवार का भरण-पोषण करता था। सीता घर का काम करती थी और मोहन गाँव के स्कूल में पढ़ता था। उनका जीवन सरल था, लेकिन वे श्याम बाबा के आशीर्वाद से हमेशा संतुष्ट और खुश रहते थे।
एक बार, श्यामपुर में भयंकर सूखा पड़ा। बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी और फसलें सूखने लगीं। किसानों के चेहरे मुरझा गए और गाँव में हाहाकार मच गया। रामलाल भी बहुत चिंतित था। उसे डर था कि इस बार उसके परिवार को भूखा रहना पड़ेगा।
सीता ने रामलाल को ढांढस बंधाया और कहा, “हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हमारे खाटू वाले श्याम बाबा हमेशा हमारे साथ हैं। हमें उनकी शरण में जाना चाहिए।”
मोहन भी अपनी माँ की बात से सहमत था। वह श्याम बाबा के चमत्कारों की कहानियाँ सुनकर बड़ा हुआ था और उसे पूरा विश्वास था कि बाबा उनकी मदद जरूर करेंगे।
रामलाल ने अपनी पत्नी और बेटे के साथ खाटू जाने का फैसला किया। उनके पास यात्रा के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे, लेकिन उनकी आस्था इतनी प्रबल थी कि वे पैदल ही खाटू की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्होंने कई और भक्तों को देखा, जो उसी उम्मीद के साथ खाटू जा रहे थे।
भक्तों के मुख पर एक ही नारा था:
“हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा है”
यह नारा रामलाल, सीता और मोहन के दिलों में भी गूंज रहा था। वे जानते थे कि वे इस मुश्किल घड़ी में पूरी तरह से असहाय हैं और केवल श्याम बाबा ही उनकी मदद कर सकते हैं।
कई दिनों की कठिन यात्रा के बाद, वे आखिरकार खाटू धाम पहुंचे। मंदिर के बाहर भक्तों की भारी भीड़ थी, लेकिन रामलाल, सीता और मोहन के मन में कोई थकान नहीं थी। वे श्याम बाबा के दर्शन के लिए उत्सुक थे।
मंदिर के गर्भगृह में पहुंचकर, उन्होंने श्याम बाबा की दिव्य और मनमोहक मूर्ति देखी। बाबा की आँखों में एक अद्भुत करुणा और प्रेम था, जिसे देखकर रामलाल, सीता और मोहन भावविभोर हो गए। उन्होंने बाबा के चरणों में अपना शीश झुकाया और अपनी परेशानी बताई।
रामलाल ने प्रार्थना की, “हे खाटू वाले, हम तुम्हारे चरणों में आए हैं। हमारी फसलें सूख गई हैं और हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। कृपया हमारी मदद करो।”
सीता ने कहा, “हे सेठों के सेठ, तुम तो सब कुछ देने वाले हो। हमें इस संकट से बचाओ।”
मोहन ने अपनी मासूम आवाज में कहा, “बाबा, हमें खाना दो और हमारी प्यास बुझाओ।”
दर्शन करने के बाद, वे मंदिर परिसर में ही एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उन्हें शांति और सुकून महसूस हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे श्याम बाबा ने उनकी प्रार्थना सुन ली हो।
उसी समय, मंदिर के पुजारी उनके पास आए और उन्हें भोजन और पानी दिया। पुजारी ने कहा, “श्याम बाबा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। वे हमेशा उनकी जरूरतों का ध्यान रखते हैं।”
रामलाल, सीता और मोहन ने पुजारी को धन्यवाद दिया और भोजन ग्रहण किया। उन्हें लग रहा था जैसे यह भोजन श्याम बाबा का प्रसाद हो।
अगले दिन, रामलाल को गाँव से एक संदेश मिला। संदेश में लिखा था कि गाँव के पास की नदी में अचानक पानी आ गया है और किसानों को अपनी फसलें बचाने का मौका मिल गया है। यह खबर सुनकर रामलाल, सीता और मोहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे समझ गए कि यह श्याम बाबा का चमत्कार है।
रामलाल ने पुजारी से कहा, “हमारा काम बन गया है। अब हम गाँव वापस जाकर अपनी फसलें बचाएंगे।”
पुजारी ने मुस्कुराते हुए कहा, “श्याम बाबा ने कहा भी है:
“सब से पेहले बाबा तेरा काम बनायेगे, काम बना कर खाटू में तुझको बुलावे गे।”
रामलाल, सीता और मोहन ने पुजारी को धन्यवाद दिया और गाँव वापस चले गए। उन्होंने गाँव पहुंचकर किसानों के साथ मिलकर अपनी फसलें बचाईं। गाँव में फिर से हरियाली छा गई और लोगों के चेहरे खिल उठे।
रामलाल और उसका परिवार श्याम बाबा के प्रति और भी कृतज्ञ हो गया। वे हर साल खाटू जाते और बाबा के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते थे। मोहन बड़ा होकर एक सच्चा श्याम भक्त बन गया। वह गाँव में श्याम बाबा के भजन और कीर्तन आयोजित करता था।
एक बार, मोहन ने गाँव में एक विशाल श्याम कीर्तन का आयोजन किया। उसने आसपास के गाँवों से भी भक्तों को बुलाया। कीर्तन में सभी भक्त श्याम बाबा के भजनों में झूम उठे। मोहन ने भावविभोर होकर गाया:
“गजब मेरे खाटू वाले गजब थारे ठाठ निराले, सेठो के सेठ बाबा श्याम है।”
कीर्तन में एक भक्त ने मोहन से पूछा, “मोहन, तुमने श्याम बाबा की इतनी कृपा कैसे प्राप्त की?”
मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सब बाबा का आशीर्वाद है। उन्होंने कहा है:
“जिस ने भी बाबा की पवन ज्योत जलाई है, पल में उसने श्याम ध्य्नी से खुशिया पाई है। होली और दीवाली वो तो रोज मनायेगा, खुश हो कर श्याम धनी की महिमा गायेगा।”
मोहन ने बताया कि कैसे उसने और उसके परिवार ने मुश्किल समय में श्याम बाबा पर विश्वास रखा और बाबा ने उनकी मदद की। उसने भक्तों को श्याम बाबा के प्रति अपनी आस्था बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
कीर्तन में एक ज्ञानी व्यक्ति भी उपस्थित थे। उन्होंने मोहन से कहा, “कन्हैया ने भी कहा है:
“कहे कन्हिया एक बार श्री राम बोल कर देख, किस्मत के ताले को एक बार खोल कर देख।”
ज्ञानी व्यक्ति ने समझाया कि हमें हमेशा भगवान पर विश्वास रखना चाहिए और कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। श्याम बाबा और श्री राम एक ही हैं और वे हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
कीर्तन में सभी भक्तों ने एक साथ गाया:
“जिसका कोई नही जगत में उसका बाबा श्याम, श्याम जगत का एक ही मालिक खाटू वाले श्याम। गजब मेरे खाटू वाले गजब थारे ठाठ निराले, सेठो के सेठ बाबा श्याम है।”
कीर्तन समाप्त होने के बाद, सभी भक्त अपने घरों को लौट गए, लेकिन उनके दिलों में श्याम बाबा के प्रति भक्ति और प्रेम की ज्योति हमेशा जलती रही। मोहन ने भी अपना जीवन श्याम बाबा की सेवा में समर्पित कर दिया। वह गाँव-गाँव जाकर लोगों को श्याम बाबा की महिमा बताता और उन्हें उनकी शरण में आने के लिए प्रेरित करता।
मोहन की कहानी दूर-दूर तक फैल गई और लोग उसे “श्याम का दूत” कहने लगे। वह जहाँ भी जाता, लोग उसे घेर लेते और उससे श्याम बाबा के चमत्कारों की कहानियाँ सुनते। मोहन हमेशा यही कहता:
“गजब मेरे खाटू वाले गजब थारे ठाठ निराले, सेठो के सेठ बाबा श्याम है।”
और लोग उसकी बातों से प्रेरित होकर श्याम बाबा के प्रति अपनी आस्था और विश्वास को और भी मजबूत करते।
इस प्रकार, श्यामपुर का गाँव और मोहन की कहानी श्याम बाबा की महिमा का प्रतीक बन गए। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा भगवान पर विश्वास रखना चाहिए। श्याम बाबा, जो “सेठों के सेठ” हैं, हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें सही राह दिखाते हैं।